Friday, 26 June 2015

मुझे तलाश है...

आज मेरी नाव किनारे तो लग गई
पर वो किनारा ना मिला 
जिसकी मुझे तलाश थी

आज मैं खुश तो हूँ
पर वो खुशी ना मिली
जिसकी मुझे तलाश थी

मंजिल तो मिली
पर ये मंजिल वो नहीं
जिसकी मुझे तलाश थी

साथ तो है उसका
पर वैसी नहीं
जैसी मुझे तलाश थी

जवाब तो है उसका
पर ये जवाब वो नहीं
जिसकी मुझे तलाश थी

उसके दिल में तो हूँ मैं
पर ये, वो जगह नहीं
जिसकी मुझे तलाश थी

उसकी खुशी में मेरी खुशी है
इसलिए उसकी खुशियों की तलाश है
एक दिन वो मुझे चाहे
ऐसे उसके जवाब की 
आज भी तलाश है

अब भी एक आस है
काश! वो दिन आये
जिसकी मुझे तलाश है

*राकेश वर्मा*

वो इनकार करती है...

अब मुझे वो कवि तो मानती है
पर मेरी कविता बनने से इनकार करती है

अब तो वो मुझे अच्छे से जानती है
फिर भी मुझे अपना मानने से, 
वो इनकार करती है

मैं थोड़ी सी भूल कर बैठा
उसका साथ पाने के लिए,
दोस्ती से थोड़ा आगे निकल गया
उसकी दोस्ती को प्यार समझ बैठा,
पर वो अब भी मुझे दोस्त मानती है
पर दोस्ती से आगे जाने से, 
वो इनकार करती है

मंजिल को पाना आसान नहीं होता
संघर्ष तो करना ही पड़ता है,
कुछ बंदिशें होती है 
तो कुछ रुकावटें भी आती हैं,
पर रुकावटों का सामना करने से,
वो इनकार करती है

वक्त के साथ कुछ परिवर्तन आता है,
परिस्थितियों में बदलाव आता है,
कुछ चीजें पक्ष में आती हैं, तो कुछ नहीं भी
पर परिस्थितिओं के बदलने से,
वो इनकार करती है

मुझे सकारात्मक सोच रखने के लिए तो कहती है
पर खुद सकारात्मक सोच रखने से,
वो इनकार करती है
मैं तो उसके लिए इंतजार करने को तैयार हूँ
पर न जाने क्यों! इंतजार कराने से,
वो इनकार करती है

उसके पास मुझे अपनाने का कारण तो है,
पर कुछ और वजहों से 
मुझे अपनाने से, वो इनकार करती है

हर कहानी की अंत अच्छी ही हो, 
कोई जरुरी नहीं
पर एक अच्छी शुरुआत तो कर सकते हैं ना!
पर पता नहीं क्यों!
एक अच्छी शुरुआत करने से,
वो इनकार करती है

मैं कवि तो उसी के लिए हूँ 
और उसी की वजह से हूँ
अब मैं खुद को कवि मानने से इनकार करता हूँ
क्योंकि वो मेरी कविता बनने से इनकार करती है

*राकेश वर्मा*

Thursday, 25 June 2015

अभी बाकी है ......

आखिर मेरी तलाश पूरी हुई
पर आस पूरा होना, अभी बाकी है

आखिर मुझे जो कहना था, कह गया

पर अब उसका कहना, अभी बाकी है

उसकी बातों का जादू तो चल गया मुझ पर

पर मेरी बातों का जादू चलना, अभी बाकी है

मेरी धड़कने तो जैसे थम सी गई है

पर उसकी धड़कनों का बढ़ना, अभी बाकी है

काफी कोशिशों के बावजूद बच ना सका इस मोह से

शायद उसका भी इससे बच पाना, अभी बाकी है

मेरे दिल में जगह बनाने में तो वो कामयाब हो गई

पर उसके दिल में जगह बनाना, अभी बाकी है

मेरे ख्यालों में तो वो हर पल आती है

पर उसके ख्यालों में मेरा आना, अभी बाकी है

मुझे जितना बेचैन,बेकरार होना था, हो चुका

पर उसका बेचैन होना, अभी बाकी है

मैं तो अपने धैर्य की परीक्षा दे चुका

पर उसके धैर्य की परीक्षा, अभी बाकी है

मुझे जितना इंतजार करना था, कर चुका

पर उसके जवाब का इंतजार, अभी बाकी है

शायद, उसका हाँ कह पाना अभी मुश्किल है 

इसलिए थोड़ा और इंतजार करना, अभी बाकी है

मुझे जितना तन्हा रहना था, रह चुका

पर अब उसका साथ पाना, अभी बाकी है

मुझे जितना दूर रहना था, रह लिया 

पर अब उसके पास जाना, अभी बाकी है

मेरी नाव तो अभी भी मँझधार में है

उसका किनारे लगना, अभी बाकी है

मुझे उससे बेहद प्रेम है, पर वो कितना करती है

ये पता लगना, अभी बाकी है

परिस्थितियाँ कभी कभी अनुकूल नहीं होती

उनको अनुकूल बनाना, अभी बाकी है

मंजिल को पाने में रुकावटें तो आती हैं

पर उससे पीछे हटने के बजाय, सामना करना, अभी बाकी है

आखिर वो कब और कैसे समझेगी

या उसका और परीक्षा लेना अभी बाकी है,

उसे पाने की तलाश तो पूरी हुई
पर आस पूरा होना, अभी बाकी है 

*राकेश वर्मा*

अगर मेरी किस्मत अच्छी होगी...

तुम्हारे लिए ना मन्दिर, ना मस्जिद जाऊँगा
ना प्रार्थना करूंगा, ना दुआ माँगूंगा
ऐसा होगा, अगर मेरी किस्मत अच्छी होगी

तुम्हारे लिए ना रोया हूँ, ना तुम्हें रुलाऊँगा
क्योंकि तुमको अभी, ना खोया हूँ, ना खोऊंगा
ऐसा होगा, अगर मेरी किस्मत अच्छी होगी

मैं खुश हूँ, तुम्हें भी खुश रखना चाहूँगा
क्योंकि तुम्हें खुश देख, मैं भी खुश रह पाऊँगा 
ऐसा होगा, अगर मेरी किस्मत अच्छी होगी

तुम्हारे ख्यालों में जी रहा हूँ, और जिन्दा रहना चाहूँगा
ऐसा तो तभी होगा, जब मैं तुम्हारा साथ पाऊँगा
ऐसा होगा, अगर मेरी किस्मत अच्छी होगी

*राकेश वर्मा*